जलालाबाद के नौजवानों ने अंग्रेजी हुकूमत से खूब लिया था लोहा

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

अजय दुबे 

आजादी के अमृत महोत्सव पर्व पर स्वतंत्रता सेनानियों को किया गया याद

 कन्नौज। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी के लिए पूरा देश जूझ रहा था। तब जलालाबाद ने भी इस महा यज्ञ में बड़ी आहुतियां दी यहां के नौजवानों ने अपना खून बहा कर आजादी के उजाले को चमकदार बनाया था उन्होंने कदम कदम पर अग्रेजों के जुल्म का सामना किया।फिर भी नहीं टूटे वह जेल की कोठ रियो में कैद रहे । बेशक उनका शौर्य इतिहास की दीवारों का अमिट लेख हो ।

 लेकिन युवा पीढ़ी उनकी यादें सहज न सकी।दुर्भाग्य यह भी है कि वह आजाद भारत में प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हुए। कस्बा जलालाबाद निवासी लालता प्रसाद शुक्ल .... । आजादी के उन आंदोलनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया महत्मा गांधी के आने के बाद यह लोग मातृ भूमि को स्वतंत्र देखने के लिए बेचैन हो उठे ।1928 में राष्ट्र पिता महत्मा गांधी ने कस्बा के सदर बाजार में पहली बैठक अग्रेजों के खिलाफ की थी ।

जिसके बाद वह लोग सक्रीय रूप से स्वतंत्रता के संग्राम में कूद गए ।इस बैठक की भनक लगते ही अंग्रजों ने लोगो पर खूब जुल्म ढाए और वह सीना ताने  डटे रहे । आस पास के इलाकों में भ्रमण कर जंग ए आजादी कि अलख जलाई ।भ्रमण के दौरान कई बार अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर जेल भेजा । जेल काटते रहे बाहर आते ही आंदोलन में फिर कूद जाते थे । यह सिलसिला आजादी की सुबह देखने तक जारी रहा । 

जलालाबाद क्षेत्र से लालता प्रसाद शुक्ल , बलदेव प्रसाद कटियार , वासुदेव पाठक , घासीराम वाथम  एक ऐसा नाम रहा जो आजादी के मतवालों को इकठ्ठा कर उनके लिए लड़ाई में होने बाली  समग्री का बंदोबस्त किया करते थे।इसी कस्बे के किशोरी लाला कठेरिया बुलाकी राम जाटव  ने भी इस आंदोलन अपनी अग्रणी भूमिका निभाई और इस लड़ाई में जलालाबाद ही भी ग्रामीण इलाकों के युवाओं ने भी आजादी कि लड़ाई खूब लड़ी थी। नेकपुर कायस्थ सियरमऊ , जसोदा ,  तेरारागी , कुसुमखोर , गोसाई दास पुर  गुगरा पुर  के ग्रामों के भी दर्जनों युवाओं ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।

स्वतंत्रता सेनानियों की याद वनी रहे जिसके किए कन्या जूनियर हाई स्कूल में आज भी सिलापट लगा है जिसमें क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के एक सैकड़ा लोगो के नाम अंकित है । इसी तरह कस्बा के बाजार में गांधी चबूतरा मौजूद है जिन्हे देख कर आज की युवा पीढ़ी उन क्रान्ति वीरो को याद कर लेती है । लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा का दंश यह महापुरुषों की स्थलीय झेल रही है ।कन्या जूनियर में लगा सिला पट टूट चुका है जिसकी सुध आज तक शासन प्रशासन के नुमाइंदों ने नहीं ली साथ ही कस्बे के गांधी चबूतरे की कई वर्ष पहले  मूर्ति गायब हो चुकी है ग्राम पंचायत ने टीन शेड डाल कर अपना कब्जा जमा लिया है।