स्वतंत्रता सप्ताह में मनमोहन प्रस्तुति का थारू कलाकारों को मिला पुरस्कार

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

डीएम की सिफारिश पर संस्कृति विभाग ने इनपैनल्ड करने हेतु प्रदान की सहमति

बहराइच । बहराइच उत्तर प्रदेश का ऐसा जनपद है जिसका अपना ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व है। सांस्कृतिक परम्पराओं में अद्वितीय तथा अनन्त वैभव के प्रतीक जनपद बहराइच की तहसीलों में घने वनों और नदियों की तलहटी में आदिवासी जातियां बसती हैं। शहरी जीवन से दूर वनों के किनारे बसे आदिवासी परिवार खेतिहर जीवन बिताने वाली ‘‘थारू’’ जनजाति विकास की नई राह पर आगे बढ़ने को प्रयत्नशील है। अपने विकास के साथ आर्थिक लाभ अर्जित करते हुए आज भी थारू जनजाति सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को संजोये हुए है।

 उत्तर प्रदेश में अनेकों जनजातियॉ पायी जाती हैं जिन्हें सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति घोषित करके, उनके उत्थान के लिए तमाम जनल्याणकारी योजनाएं लागू की गई हैं। जिनमें आर्थिक उत्थान, शैक्षिक, स्वास्थ्य, आवास सम्बन्धी योजनाएं तथा स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान प्रमुख है। इसके अलावा थारू महिलाओं को विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें स्वयं सहायता समूहों में जोड़कर उनके आर्थिक उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

 थारू मुख्य रूप से लखीमपुरखीरी, बहराइच, गोण्डा, बस्ती, देवरिया और गोरखपुर ज़िलों में बड़ी संख्या में आबाद हैं। ये अधिकतर वनों में, पानी वाले क्षेत्रों में बसे हैं। घने वनों और पहाड़ों की दुर्गम गुफाओं, कन्दराओं में निवास करते हुए मनोहारी लोकगीत, लोक नृत्यों में सुख-दुखः के भावों को प्रदर्शित करते हैं।

थारू परिश्रमी और विश्वसनीय, सत्यनिष्ठ, सरल, मृदुभाषी, स्पष्टवादी, मांस, मद्य प्रिय, शान्ति प्रिय, एकान्त प्रिय होते हैं। थारू अपनी पुत्र वधुओं को कन्याओं की अपेक्षा अधिक सम्मान देते हैं। थारूओं में कुछ ऐसे भी होते हैं जो मांस मदिरा का सेवन नहीं करते हैं। उन्हें मनभक्ता थारू कहते है। छोटा कद, उन्नत कपोल-अस्थियों तथा बिरल भौहों के मध्य स्थित चमकीली और छोटी-छोटी ऑखें, चिपटी नाक, गोल किन्तु छोटी ठुड्डी, छिटपुट मूॅछ दाढ़ी, ताम्र एवं गौरपूर्ण, गोल-मटोल मुख मण्डल अपनी मूंक भंगिमा से थारू होने का लक्षण प्रस्तुत करता हैं।

जनपद के घने वनों, कल-कल, छल-छल करती अथाह जलराशि से पूरित नदियों, सुन्दर मनोहारी वन्य जीवों, पशु पक्षियों के कलरव से गुंजित भू-भाग के आस-पास कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार से सटे ग्रामों फकीरपुरी, लोहारी, आम्बा, वर्दिया, जलिहा, साहोनी, भरथापुर, धर्मापुर, विशनापुर, बलई गांवों में निवास करने वाले थारू जनजाति के पुरूष घनी चोटियॉ रखते हैं, जो हिन्दुत्व परिचायक हे। ये लंगोटीनुमा धोती पहनते हैं। थारू स्त्रियॉ रंगीन लहंगा, बूटेदार ओढ़नी व चोली पहनती हैं। जिसे वे स्वयं तैयार करती हैं। आभूषण और गोदना इन्हें बहुत प्रिय है। हाथ, ठोड़ी और गले में गोदना गुदवाना बहुत पसन्द करती हैं।

जनपद बहराइच के दूर-दराज गांवों में रहने वाले थारू जनजातियों के विकास के लिए जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र के दिशा-निर्देश पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अन्तर्गत थारू बाहुल्य ग्रामों आम्बा, विशुनापुर, फकीरपुरी, बर्दिया व धर्मापुर में हस्तशिल्प, बकरीपालन, पशुपालन एवं कृषि विकास हेतु 71 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर 68 समूहों को रिवाल्विंग फण्ड भी जारी करा दिया गया है। इसके अतिरिक्त थारू बाहुल्य ग्रामों में मनरेगा योजना को कार्यान्वित कर इच्छुक श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर ही रोज़गार उपलब्ध कराया जा रहा है।

थारू जनजाति को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाये जाने के साथ-साथ उनकी गौरवशाली लोककला व लोकनृत्य का साक्षात्कार आमजन से कराये जाने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा तथा प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ अन्तर्गत 11 से 17 अगस्त, 2022 तक आयोजित हुए ‘‘स्वतन्त्रता सप्ताह’’ के अवसर पर जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र के प्रयास से माडर्न पब्लिक स्कूल पुलिस लाइन व हरियाली रिसार्ट में 11 से 15 अगस्त 2022 तक आयोजित हुए ‘‘सांस्कृति कार्यक्रम’’ में थारू युवक एवं युवतियों के दल को अपना हुनर दिखाये जाने का अवसर प्रदान किया गया।

थारू बाहुल्य ग्रामों से आये हुए उत्साही युवक-युवतियों ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाते हुए स्वतन्त्रा सप्ताह के उपलक्ष्य में आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी।  दल के सदस्यों राजाराम व राम कुमार तथा महिला कलाकारों में मनीषा कुमारी, राज कुमारी, रंजीता कुमारी, विद्यावती, रोशिना थारू, राजरानी देवी, सरिता देवी, नीशा कुमारी, कल्पना देवी, लगनी देवी व रजनी देवी द्वारा राम-सीता विवाह गीत ‘‘चनना पिरही देहनै धाराई, चौमुख दियाना देत जलाई’’ की प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। थारू दल की मनमोहक प्रस्तुति पर डीएम ने पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम को अर्द्ध शासकीय पत्र भेज कर सम्बन्धित दल को इम्पैनल्ड करने का अनुरोध किया। श्री मेश्राम ने डीएम के पत्र का संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित दल को विभाग में इम्पैनल्ड करने का आश्वासन दिया है।