युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मुस्कुरातें लब से दुनिया को हँसाया कीजिये
कर्ज़ अपनी ज़िंदगी का यूं चुकाया कीजिये ।
जश्न की है ज़िंदगी हर पल मनाते ही रहो,
टूट जाए कब ये सांसें यूं न ज़ाया कीजिये ।
है वतन मेरी मुहब्बत हर फ़िज़ा इसकी गजब,
मेरा दिल कहता है हर पल जाँ लूटाया कीजिये ।
हिंद ए मेरे वतन बारूद कम हो तो सुनो,
हक ये देते हैं तुम्हें हमको बिछाया कीजिये।
पासबाँ है वो हमारा साँस लेते हम तभी,
उस सिपाही के ही आगे सर झुकाया कीजिये।
मर रहा है रोज इंसां भूख पसरी हर तरफ,
आदमी हो आदमीयत भी दिखाया कीजिये।
मुद्दतों से हीर-राँझा का मुकद्दर मौत है,
इश्क़ की धड़कन को खुद से भी छिपाया कीजिये ।
ग़र उजाला है बनाना हर अँधेरी यास को
तो अँधेरे दिल में तुम सूरज जगाया कीजिये
प्रज्ञा देवले✍