धागों का कंगन

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

चित्तौड़ की रानी कर्मवती,

हिमायू को भाई बना।

रक्षा सूत्र भेजा उसके पास,

राखी का मान रखा।

किया युद्ध राजा के साथ।

किया सम्मान कान्हा ने,

चोट लगी जब कान्हा के।

साड़ी फाड बांधा द्रौपदी ने,

चीर बड़ा लाज बचाई।

ऐसा था उपकार चुकाया।

सावन पूर्णिमा का दिन आयास

रक्षा सूत्र दिवस कहलाया।

धागों का सुंदर कंगन बना,

बहना तेरे द्वार है आई।

खुशियों की ऋतु है आई,

बहना देखो बहुत हर्षाई।

रोली, अक्षत ,मिष्ठान है लाई

भाई भतीजे को  टीका लगाएं,

लंबी उम्र की कामना कर जाए।

भाई बहन का प्रेम अनोखा,

दुआओ का सुंदर उपहार है लाई ।

खुशहाल रहे परिवार तुम्हारा,

युगो युगो तक नाम तुम्हारा।

धागो का कंगन है लाई।

बचपन की सारी याद है लाई,

कुछ क्षण साथ  बिताने आई।

मजबूत रिश्ता बनाने आई,

थोड़ा प्यार लुटाने आई।

धागों का कंगन मैं लाई।।

          रचनाकार ✍️

          मधु अरोरा