बिल्लियों की आत्मकथा

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

बिल्लियों ने अपने दुखों से हार कर.. अपनी पीड़ा को हृदय में आत्मसात करते हुए, अपने कुनबे का दुख "बिल्लियों की आत्मकथा" नामक किताब में संकलित करने का प्रयास किया , ताकि उनकी अगली पीढ़ी को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए, किस से सजग रहना चाहिए, किस से मित्रता भाव रखना चाहिए, उनके उत्तराधिकारीयों को यह जानकारियां उत्तराधिकार में मिल सके.. यह मात्र उनका अंतिम प्रयास था दिनोंदिन सीमित होती उनकी  जनसंख्या को लेकर..! !

पहले पृष्ठ में ही दर्ज था--" इंसानों ने चिंतन मनन करना छोड़ दिया है यश ,अपयश से परे होकर स्वार्थ की सार्थकता को ही सिद्ध करने में जुटे हुए हैं, इस समय जीव जगत को ईश्वरी अदृश्य शक्तियों से ही उम्मीद है कि भविष्य में बिल्लियों की प्रजाति बची रहे, वरना इंसानों ने हमारी विलुप्ता का पूरा इंतजाम कर रखा है"।

अगले कुछ पृष्ठ पर एक काली बिल्ली के उद्भभाव कुछ इस तरह से हैं--" इंसानों में एक आम भ्रांति है कि हम बिल्लियां उनका रास्ता काटती हैं,  और अपशकुन करती हैं...! पर कोई उन इंसानों से पूछे हम बिल्लियों का रास्ता इन इंसानों ने काट काट कर हमें विलुप्ता के कगार पर पहुंचा दिया है.. तनिक सोचना चाहिए इंसानों को कौन किसका रास्ता काट रहा है"!

अगले पृष्ठ पर एक भूरी बिल्ली के उद्भाव इस प्रकार है-- हम बिल्लियों को थोड़ी सी दूध -दही खाने पर इतनी बड़ी सजा दी गई है कि हमारा अस्तित्व ही संकट के कगार पर है .उन इंसानों को कौन सी सजा मिलनी चाहिए जिन्होंने पूरी पृथ्वी को खा लिया ना धरती रहने लायक बची.. ना आसमान में हवा.. उनके गुनाहों की सजा कौन उन्हें देगा"

चितकबरी बिल्ली के उद्भभाव कुछ इस प्रकार--" हम सारी बिल्लियों को मरने के बाद मोक्ष प्राप्ति की आकांक्षा थी.. किंतु हम प्रेत आत्माएं बनकर भटक रही हैं,  क्योंकि हम सभी को अकाल मृत्यु प्राप्त हुई, हम सब किसी न किसी सड़क पर मनुष्य द्वारा चलित वाहनों के द्वारा मृत्यु को प्राप्त हुए,

.. क्या इंसानों की जिम्मेदारी नहीं थी की वह हम जैसे जीव जगत के प्रति थोड़ी सी इंसानियत दिखा दे.."

इस पुस्तक में दर्ज सभी उद्भभाव को सभी बिल्लियां ध्यान से पढ़ें.. ताकि अगली पीढ़ी को पता रहे कि उन्हें किस किस से सतर्क रहना है।

रेखा शाह आरबी 

बलिया (यूपी)