हेल्पलाइन...हेल्प प्लीज़!

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

एक वोटर ने हेल्पलाइन को फोन किया :

वोटर :                           मुझे ‘अच्छे दिन 20.19’ प्रोगाम से मुश्किल हो रही है।

हेल्पलाइन सपोर्ट :           आपको यह दिक्कत कब से हो रही है?

वोटर :                           देखिए, पिछले पाँच साल तक मैंने ‘सरकार 20.14’ का भरपूर उपयोग किया। उसके बाद उसे अपडेट कर ‘अच्छे दिन 20.19’ इंस्टॉल किया था। उसके बाद से ही पूरा सिस्टम स्लो हो गया है। खासतौर पर ‘खान-पान’, ‘पेट्रोल-डीजल’ और ‘श्मशान घाट’ एप्लीकेशन ने काम करना बंद कर दिया है। 

ये एप्स ‘सरकार-70’ में अच्छी चलती थीं। इसके अलावा ‘अच्छे दिन 20.19’ ने ‘फ्रीबिस-मुफ्त रेवड़ियाँ’ प्रोग्राम भी अनइंस्टॉल कर दिया है। इसकी जगह ‘हिंदू-मुस्लिम 2.0’, ‘लव जिहाद 3.0’ और ‘हॉर्स ट्रेडिंग 4.0’ जैसे बेमतलब के प्रोग्राम इंस्टॉल हो गए हैं। अब मैं इसे कैसे सुधारूं ?

हेल्पलाइन सपोर्ट : जी सर, ‘अच्छे दिन 20.19’ आपके कहने पर इंस्टॉल किया गया है। इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। इससे होने वाले फायदे और नुकसान के आप खुद जिम्मेदार हैं। हमने तो माइक्रोस्कोप की सहायता से भी न दिखाई देने वाले महीन अक्षरों में आपको चेताया भी था। उसमें यह साफ-साफ लिखा है कि जुमलों पर भरोसा करके वोट देने के लिए हम नहीं आप जिम्मेदार होंगे। 

अब आप इससे मुकर नहीं सकते। उसमें यह भी लिखा है कि ओखली में सिर देने पर मूसल की मार हमारी ओर से मुफ्त है। इसके लिए यह प्रोग्राम प्रतिबद्ध हैं। सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि ‘पेट्रोल रु. 40.0 ’, ‘हर जेब लाख 15.0’ एक एंटरटेनमेंट डेमो पैकेज था, जबकि ‘अच्छे दिन 20.19’ ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसे सुधारने के लिए ‘माथा पीटो तब तक 20.24’, ‘आँसू बहाओ हाई स्पीड 20.24’ प्रोगाम डाउनलोड करें। 

इससे ‘ताली थाली 20.19’ और ‘घंटा बजाओ 20.20’ एप्लीकेशन अपने आप इंस्टॉल हो जाएंगी। हालांकि याद रखें- ‘आंसू 20.24’ ज्यादा इस्तेमाल करने पर ‘अच्छे दिन 20.19’ ‘महंगाई कमर तोड़ 2.2’ और ‘जीना मरना दुश्वार 20.24’ वायरसों का शिकार हो सकता है। इसलिए ‘अच्छे दिन 20.19’ के ओरिजनल प्रोग्राम को डिस्टर्ब न करें। ऐसा करने पर नया वायरस ‘अच्छे दिन 20.50’ इंस्टाल होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा ‘पेट्रोल रु. 40.0’ और ‘हर जेब लाख 15.0’ को दोबारा इंस्टॉल करने की कोशिश भी न करें। वरना आपका लाइफ ऑपरेटिंग सिस्टम क्रैश हो जाएगा। आगे आपकी मर्जी।

डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’