तिरंगा (छप्पय छंद )

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


बने तिरंगा शान, देश हित योद्धा बनते |

करें देश का मान, सदा वो संकट सहते ||

सरहद पर  हो जंग, प्राण निज अपने खोते |

दुनिया होती दंग, देख ये हर्षित होते ||

सरहद रक्षित हो सदा, लहरे परचम शान से |

गाये जन गण गान को, बढ़ते जाये मान  से ||


बसे देश में प्राण, तिरंगा हमको प्यारा |

यही हमारी जान, अमर हो जग में सारा ||

बने सिपाही आज, करे वो रक्षा सारी |

करते पूरे काज, लक्ष्य है रक्षित नारी ||

देश प्रेम के भाव से, बढ़ती सबकी शान है |

वीर धरा के लाल है, करते ध्वज का मान है ||


रखना इसकी शान, यही अब जन -जन कहते |

भारत की रख आन, कष्ट खुद सारे सहते ||

जान वतन पर दे लुटा, सदा अरि से वो लड़ते |

श्वेत प्रेम का रंग, शांति से सब है पढ़ते ||

हरा धरा का रंग है, करे केसरी मान है |

साधक श्रम के तुम बनों,गाते जन-गण गान है ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश