मोम और औरत

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


नारी का जीवन भी है, मोम के ही जैसे

अपने परिवार का, दुख सहे, वो कैसे? 

जैसे मोम , खुद जलकर

दूसरों को, रौशनी देती है 

वैसे ही ये औरत , खुद भूखी रहकर भी

पूरे परिवार को पाल लेती है l


यदि बच जाए, थोड़ी झूठन भी

वो ही, खाकर टाईम पास कर लेती है

अगर नहीं हो, बिल्कुल भी खाने को

तो ये भूख नहीं है, कहकर

बस अपना पेट,भर लेती है।


इनको होती पीड़ा कितनी

ये बात, किसने, जानी है

इसने, खुद की, कुर्बानी देकर

फिर दूसरों को, सुख, देने की ठानी है

बस औरत और मोम, दोनों की

एक ही जैसी , कहानी है l


करमजीत कौर,शहर-मलोट

जिला श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब