योगासनों के अभ्यास शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए कारगर माना जाता है। योग आपकी ऊर्जा को संतुलित करने, शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने और तनाव को दूर करने के लिए कारगर माने जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि योगसनों से हार्मोन संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलती है, ऐसे में यह थायराइड की समस्या से परेशान लोगों की सेहत को ठीक बनाए रखने में सहायक अभ्यास हो सकता है। योग मुद्राएं थायराइड ग्रंथि के कार्यों को आसान बनाने के साथ हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में कारगर हो सकती हैं।
कई अध्ययनों में थायराइड के कामकाज में सुधार करके हार्मोंन संतुलन को बेहतर बनाए रखने में नियमित रूप से योगासनों के अभ्यास को लाभकारी बताया गया है। जिन लोगों को थायराइड की समस्या का जोखिम होता है उनके कामकाज को भी ठीक रखकर इस तरह की समस्याओं से बचाव करने के लिए योगासनों का अभ्यास करना विशेष लाभकारी माना जाता है। आइए जानते हैं कि थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखने और इससे स्रावित होने वाले हार्मोन्स के कार्यों को बेहतर बनाए रखने में किन योगासनों का नियमित अभ्यास करना आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है?
सर्वांगासन योग के लाभ
सर्वांगासन के नियमित अभ्यास की आदत शरीर के लिए कई प्रकार से लाभकारी हो सकता है। पैरों और कंधों को टोन करने के साथ गर्दन से अतिरिक्त तनाव को दूर करने तथा थायराइड और पेट के अंगों को उत्तेजित करने के लिए नियमित तौर पर इस योग का अभ्यास किया जा सकता है। हाइपो और हाइपरथायरायडिज्म दोनों ही स्थितियों के लिए इस योग के अभ्यास को अच्छा माना जाता है। तनाव को दूर करने के साथ रजोनिवृत्ति से संबंधित जटिलताओं को कम करने में भी इस योग का अभ्यास करना लाभकारी हो सकता है।
मत्सयासन योग का अभ्यास
मत्सयासन या फिश पोज योग का अभ्यास, शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सों छाती, एब्स, हिप फ्लेक्सर्स और गर्दन को स्ट्रेच करने से लेकर हार्मोंन्स के संतुलन को बेहतर बनाए रखने के लिए सहायक माना जाता है। यह गर्दन की समस्याओं से परेशान लोगों के लिए भी कारगर योगाभ्यास हो सकता है। गर्दन में मौजूद थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने के साथ कंधों और मस्तिष्क के लिए भी इसे फायदेमंद अभ्यास के तौर पर जाना जाता है।
उष्ट्रासन योग का अभ्यास
उष्ट्रासन योग, कंधों और पीठ की स्ट्रेचिंग और इसे मजबूत बनाए रखने के साथ छाती को खोलकर श्वसन में सुधार करने और पाचन कार्यों को बेहतर बनाए रखने के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह गर्दन की स्ट्रेचिंग करने के साथ रक्त परिसंचरण को बढ़ाकर थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है। पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत पाने और शारीरिक मुद्रा में सुधार करने के लिए भी इस योग के नियमित अभ्यास की आदत को कारगर माना जाता है।