शिव भक्ति

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


सिर पर गंगा मैया बैठी, मस्तक चाँद विराजे।

नाग गले में धारण करते, डम डम डमरू बाजे।।

महाकाल भोले बाबा जी, अजर अमर अविनाशी।

ध्यान मग्न में रहते शम्भू , कहलाते कैलाशी।।


कानों में बिच्छी की बाला, है त्रिशूला धारी।

राक्षस अत्याचार करे तो, पड़ते उन पर भारी।।

बाघम्बर को सदा लपेटे, तन में भस्म लगाते।

मुख सुंदर मुस्कान रहे जी, बर्फानी कहलाते।।


जगत कृपा हे शिव शम्भू जी, तुम हो जग के स्वामी।

कब क्या होगा तुमने जाना, हो तुम अंतर्यामी।।

बढ़े कदम ना बिन आज्ञा के, परम पिता परमात्मा।

द्वेष कपट शिव को ना भाये, निर्मल उनकी आत्मा।।


सच्चे मन से जो भी पूजे, सदा तुम्हें ही पाते।

कष्ट निवारण कर दो भोले, तेरे दर पर जाते।।

नाम शिवा के जाप करे जो, हिय में होय निवासी।

सदा सहारा बनते भोले, घट घट के हैं वासी।।


रचनाकार

प्रिया देवांगन "प्रियू"

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com