भव नित्य नूतन में,
स्थूल सूक्ष्म चेतन में,
आत्मा रूपी अज्ञेय को,
मेरा नमस्कार है।
हर्ष उल्लास मोद में,
आमोद आहलाद में,
कमल शारदेय को,
मेरा नमस्कार है।
विपत्ति अवसाद में,
ग्लानि दर्द विषाद में,
विराट पुरुषाय को,
मेरा नमस्कार है।
व्यथा पीड़ा मातम में,
खेद खिन्नता गम में,
कृष्णाय सुरेशाय को,
मेरा नमस्कार है।
✍️ ज्योति नव्या श्री
रामगढ़, झारखण्ड