माता पिता

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

मात-पिता है जीवन का सार,

इनके बिना ना कोई आधार।

लहू से इनके जीवन बनता,

सांसो का सरगम है चलता।

महत्व दोनों का एक समान,

बच्चों को चाहिए दोनों का प्यार।

तभी चल पाए घर संसार,

मां ममता तो पिता, प्यार भरा छाता है।

जीवन के सुख दुख से वही बचाता है।

प्रथम स्पर्श जिसका मिला,

वह तो मेरी माता है।

प्रथम रुदन पर रोमांचित होने वाली,

अमृत सुधा पिलाने वाली ।

मुझको गले लगाने वाली,

अपना  दर्द भूल सब पर प्यार लुटाने वाली,

पापा खुश हुए बहुत जन्म पर मेरे देखो

परवरिश में बच्चों की सब कुछ भूल जाते हैं।

ध्यान बच्चों का भरपूर रखते,

अपनी ना सोच बच्चों की सोच जाते हैं।

खुद 2 जोड़ी में काम चलाते,

हमारी हर मांग को पूरा करते।

अपना प्यार हम पर हरदम लुटाते।

पिता डांट लगा मजबूत बनाते ,

अनुशासन का पाठ पढ़ाते।

सुंदर संस्कारों से पूरित करते ,

कदम कदम पर ध्यान है रखते।

घर की बगिया का प्यारा माली,

सबकी उम्मीदों की आस होता ।

बिना उनके ना माँ का कोई श्रृंगार  होता,

माता घर की नींव पिता आधार होता है।

क्या कहूँ माता-पिता के बारे में

शब्द नहीं है मेरे पास

बस बच्चों के लिए उनके पास

स्नेह, दुलार ,और आशीष होता है।

       रचनाकार ✍️

       मधु अरोरा