एक सहारा ईश है, वही निभाए साथ |
संकट की जब हो घड़ी, नहीं छोड़ते हाथ ||
नहीं छोड़ते हाथ, ह्रदय से उन्हें पुकारे |
भव सागर से पार, लगा दें नाव किनारे ||
कहती स्वप्निल बात, सभी को मिला किनारा |
दर्शन दे दो नाथ, आप ही एक सहारा ||
बनों सहारा दीन का, थामों उनके हाथ |
आप निभाना कष्ट में, देकर उनका साथ ||
देकर उनका साथ, धर्म की रीत निभाना |
चैन मिले आराम,प्रेम से उन्हें बुलाना ||
कहती स्वप्निल आज, कभी मत करो किनारा |
कोई दे आवाज, सदा तुम बनो सहारा ||
मिला सहारा आपका, खुला ज्ञान का द्वार |
राह दिखाई सत्य की, गुरुवर का आभार ||
गुरुवर का आभार, राह को वही दिखाते |
सृजन करे सब आज, गीत को है मिल गाते ||
कहती स्वप्निल आज, तुच्छ को मिला किनारा |
बनी लेखनी धार , आपका मिला सहारा ||
___________________________
कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश