पर्यावरण

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  


पर्यावरण को हर वक्त  करते  रहे   नुकसान। 

इन्सान को  फिक्र नही  ये करते  क्या  काम।


पर्यावरण स्वच्छ  नही  तो, जीवन  संभव  नही।

जब धरा पर वृक्ष नही तो, पर्यावरण स्वच्छ नही।


काट दिए है जो जंगल, फिर  छांव कहाँ  है।

बसा दिए अब शहर वहाँ, अब गांव  कहाँ  है।


वो   हरियाली   और  वो,  खुशहाली  नही  है  पाना।

देखो कितना बदल गया शहर गांव और बदला जमाना। 


वृक्षारोपण ना होते अब ,कैसे स्वच्छ  मंडल  बनाएं। 

अपने हित के खातिर मानव, जंगल में आग लगाएं। 


कोई  नही अब देता ध्यान, ना स्वच्छ  हवा तो  जाती  जान।

इसके प्रति देना है सबको ध्यान,खूब लगाएं वृक्ष बचाएं जान।


एक  संदेश   हमारा  है, कभी   ना  वृक्ष  को  काटो  भाई

मैने तुम को फल फूल छाया दिया,क्या कभी चोट पहुचाई। 


अनमोल   रत्न   हैं  धरती  के, कभी  ना  इन्हे  उजाड़ो। 

कुछ नया करो कि स्वच्छ रहे मंडल, एक ऊंचा झंडा गाड़ो।


स्वस्थ रहें और स्वच्छ बनाएं ये जन-जन तक फैलाएं। 

लुफ्त  हुआ  जो  हरित  क्रान्ति, पुनः उसे अब  लाएं। 


स्वरचित मौलिक रचना 

अली अंसारी, कटहरा 

अफज़ल नगर 

जिला-महराजगंज 

उत्तर प्रदेश