फिक्र और प्यार भरी बातें

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   

मां-बाप जब बूढ़े होने लगते ,

हाथ पांव उनके शिथिल होने लगते ।

तब रह जाती है उनके पास,

फिक्र और प्यार भरी टोकरी साथ।

जिसमें आपके लिए चिंताएं,

सुनहरे भविष्य की कल्पनाएं।

जिन्हें वह शादी से अब तक,

आज तक संजोए हैं।

स्नेहिल  धागो  से ,

सिलते हैं उनको आज।

जब अनुभव आया उनके पास,

बच्चे सब समर्थ हुए,

अपना अपना जीवन चलाने लगे।

तब अनुभव के अपने पेचकस से,

नसीहतो की कील से।

ठीक है करना चाहते हैं ,

प्यार से कसना चाहते हैं उन्हें।

बच्चों का जीवन सुखमय बने,

उनके जीवन में प्यार की मधुर चासनी डलें।

अंतिम सांस तक करते हैं प्रयत्न,

बहुत प्यार करते है आपको।

सोचते हैं जो परेशानी ,

उनके जीवन में आई।

उसकी परछाई ना पड़े बच्चों पर,

शायद इसीलिए फिक्र,चिंता ,प्यार की

टोकरी लिए फिरते हैं।

समझ सको तो समझो उनकी बातों को,

याद रखना उनकी नसीहतों के राजो को।

                   रचनाकार ✍️

                   मधु अरोरा