ओरन की तिलहर माता मंदिर में सुनाया गया सुदामा चरित्र

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

बांदा/ओरन। कस्बे में चल रही श्रीमदभागवत कथा के चैथे दिन भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा चरित्र सुनाकर कथावाचक ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। नगर पंचायत ओरन के धार्मिक स्थल तिलहर माता मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में श्रोताओं ने श्रीकृष्ण के संपूर्ण 16108 विवाहों की कथा आचार्य शशिकान्त त्रिपाठी से श्रवण किया।इसके साथ ही सुदामा चरित्र की कथा का श्रवण लाभ भी प्राप्त किया। भक्तों ने भगवान के उन गुणों को जाना कि, किस तरह से जगदीश्वर श्रीकृष्ण ने अपने मित्र के लिए अपने संपूर्ण वैभव का त्याग कर दिया। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित का मोक्ष हुआ परंतु भगवान की कथा पूरी नहीं हुई, क्योंकि भगवान की कथा कभी पूरी नहीं हो सकती, इसका मात्र विश्राम होता है, क्योंकि गोस्वामी जी ने कहा है कि “हरि अनंत हरि कथा अनंता“। उन्होंने बताया कि प्रभु श्रीकृष्ण लीला का सम्वर्ण करके परमधाम को जाने लगे तो उद्धव जी ने प्रश्न किया कि, प्रभु आपके भक्त आप के वियोग में अपने शरीर को कैसे धारण करेंगे? तो भगवान ने ( तिरोधाय प्रविष्टोयं श्रीमद्भागवतार्णम) शरीर से एक दिव्य ज्योति प्रकट की और उसे श्रीमद्भागवत में समाहित कर दिया। इसलिए यह श्रीमद् भागवत कथा भगवान की साक्षात वांग्मयी मूर्ति है। 7 दिनों तक चलने वाला ज्ञान महायज्ञ है। भक्तों ने संपूर्ण कथा का रसास्वादन पूरी तन्मयता के साथ किया। वही भगवान की जयकार के भागवत कथा समाप्त हुई। इसके बाद आरती व प्रसाद वितरण किया गया।