मिलकर पेड़ लगाएँ हम

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


पेड़ों को काटकर,दे रहा

है   ख़ुद   को  घाव   तू।

बिन पेड़ों के बंदे,राह में

ढूँढ   रहा   है  छाँव  तू।


बिन  पेड़ों के  इस  धरा  पर,

तुम  छाँव  कहाँ से  पाओगे।

पेड़  ही नहीं  होंगे  जमीं पर,

अपना जीवन कैसे बचाओगे?


  वृक्ष है विहंगों का बसेरा, 

  होता   है   इनका   डेरा।

वृक्ष से ही सम्पूर्ण जगत का 

   होता    नया    सबेरा ।


वृक्ष है अनमोल जगत में,

आओ करें इनकी सुरक्षा।

पेड़  व्यर्थ  न  काटे  हम,

करें गहन मंथन,समीक्षा।


रिक्तस्थानों पर पेड़ लगाएँ,

हरियाली   फैलाएँ    हम।

धरती   का   श्रृंगार   करें,

जीवन सुखमय बनाएँ हम।


धरती का श्रृंगार करें हम

मिलकर    पेड़   लगाएँ।

पर्यावरण  स्वच्छ  बनाएँ,

हम   हरियाली   फैलाएँ।


      महेन्द्र साहू"खलारीवाला"

       गुण्डरदेही बालोद छ ग

       मो नं. 9755466917