राहत

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

कैसे मिले

राहत

रोज़ ही उठते

मुद्दों से

कभी जातिवाद

कभी धर्मवाद

कभी कौम

कभी भाषा

कभी आरक्षण

तो कभी राजनीति

थक चुका है आम इंसान

सुन सुन के बातें ये

आखिर कब मिलेगी

राहत इन मुद्दों से

और पनपेगा प्यार,

सौहार्द,एकता,शांति

महकेगी तो बस मानवता

गूथी इक माला के फूलों सी

और मिलेगी राहत

रोज़ टूटते बिखरते घरों, रिश्तों और 

जान माल के नुकसान से

माना बस नहीं कुदरत की

मार से हो वो भीषण गर्मी या बरसात

हो तेज़ लू , आँधी, तूफान या बाढ़

भीषण सर्दी या बर्फबारी

पहाड़ों का टूटना या जंगलों में आग

पर जो ज़मीनी मतभेद हैं

उनसे तो राहत पाई ही जा सकती है

क्यों रोज़ हो बिन बात की लड़ाई, 

बहस, सीना ज़ोरी

क्यों न खुद को और सबको

दे राहत

लूटा प्यार और बस प्यार 

देकर विराम नफरतों को।।

....मीनाक्षी सुकुमारन

        नोएडा