जब तू आएगा

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   


ए मेरे लक्ष्य जब तू आएगा

संभवत उस दिन मैं झूमकर नाचूंगा

जब मेरी संघर्षमय पथ की समाप्ति होगी

शायद !मैं स्वयं को क्षितिज पर पाऊंगा 

ए मेरे लक्ष्य जब तुम मिल जाएगा।


कितनी रातों की नींद जो आंसू में तब्दील हुए

और ना जाने कितनी बार मेरे स्वप्न खंडित हुए?

शायद !वह सभी सुनहरी यादें बन जाएगी

ए मेरे लक्ष्य जब तू आएगा

 शायद! में फुटकर रोऊंगा।


कितनी तानाओं के प्रतिबिंब मेरे सम्मुख होंगे

और मैं धीरे-धीरे अभ्यस्त होने लगूंगा

जीवन के बीते प्रत्येक पल के अवसाद

उस दिन निशब्द होंगे और मौन होंगे

सिर्फ मैं और तुम घंटों खुशी के अश्रु बहांएंगे

ए मेरे लक्ष्य जब तू मेरे सन्मुख होगा।


मेरे पारदर्शी व्यक्तित्व को जमाना देखेगा

मेरे सारे शब्द  संगीत बन हवाओं में गूंजेंगे

आज मैं इस अंधकार के स्पर्श से नहीं डरता

यह मेरे जीवन की बाधाएं मात्र है।

ए मेरे लक्ष्य जब तू आएगा मेरे सारी भावनाएं

रंग जाएगी तेरे रंगों में।


स्वरचित एवं मौलिक रचना 

नाम:- प्रदीप अवस्थी 

पता:- रायबरेली उत्तर प्रदेश