भरी महफ़िल में लगे, वह गुलाबो से
दिल ले गएज्ञ चुराकर, कातिल निगाहों से।
निगाहों में उनके ,शोखी थी मस्ती बड़ी
लगने लगे हमको, हसीन किताबों से।
दरमियां बातें चली ,कुछ इस कदर
लगने लगे हमको ,हसीन ख्वाबों से।
मिलने लगे हम अक्सर ,जमाने से बचकर
लगने लगा हमको मिले ,बड़े नसीबों से।
बातों बातों में बात हुई, प्रेम बढ़ने लगा
सपनों में उड़ने लगे ,साथ परिंदों से।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा