॥ धर्म की हानि ॥

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   


जब जब हुई है धर्म की हानि

पाप अपराध की बढ़ी मनमानी

प्रभु ने लिया तब तब अवतार

धरा से पापियों का हुआ संहार


जब जब हुई ज्ञान की हानि

अज्ञानी की बढ़ी मनमानी

ज्ञानी ने लिया तब तब अवतार

ज्ञान से समृद्ध हुआ    संसार


जब जब हुई आतंकी अभिमानी

आतंक से हुई शांति की परेशानी

नये रूप में प्रशाषन लिया अवतार

चूर हुआ आतंक की    बाजार


जब जब हुई अंधेरा से गुमनामी

अंधकार की बढ़ी है मनमानी

सुबह ने लिया तब तब अवतार

जगत से भागा है पापी अंधकार


जब जब हुई मूरख की वाणी

मूरख से भागा स्वाभिमानी

संतों ने लिया तब तब अवतार

ज्ञानवाणी से गुंजा यह संसार


जब जब हुई मर्यादा की हानि

दुर्जन की बढ़ गई मनमानी

न्यायदेवी ने तब तब लिया अवतार

न्याय की महक से महका परिवार


उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088