बांदा। जिले की बहने वाली केन नदी की बालू खदानों में संचालकों द्वारा जलधारा से प्रतिबंधित पोकलैंड मशीनों से लगातार किए जा रहे अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष जेएन महाविद्यालय सुशील त्रिवेदी ने आयुक्त चित्रकूटधाम मंडल से करते हुए कहा है कि बांदा जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली केन नदी आज नाले के रूप में तब्दील हो चुकी है। केन के अंदर मरौली, अछरौड़, कनवारा, गिरवां, दुरेड़ी, पैलानी, खप्टिहाकला सहित अन्य खदानों में संचालकों द्वारा अवैध खनन के काले कारोबार को अंजाम देकर कई स्थानों पर तो 40-45 फिट के गड्ढे करके बालू निकाले जाने का सिलसिला जारी है। एक मांगपत्र 11 मई को भी दिए जाने का जिक्र करते खदान संचालकों के विरुद्ध जांचकर कार्यवाही की मांग की है।
आयुक्त को सौंपे गए पत्र में पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुशील त्रिवेदी ने केन नदी की जलधारा के साथ पोकलैंड मशीनों के द्वारा मनमानी तरीके से खेले जाने वाले खेल का जिक्र करते पोकलैंड मशीनों से कराए जाने वाले काम पर रोक लगाए जाने का इशारा करते हुए मजदूरों से काम कराए जाने की बात कही गई थी। केन नदी धीरे-धीरे नाले में तब्दील होती जा रही है कहीं भारी प्रदूषण की वजह से आक्सीजन की कमी तो कहीं नदियों की जलधारा को भारी मशीनें रौंद रही हैं। खनन की वजह से जमीन में जल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। बेशकीमती पानी के मोल को यदि समझा नहीं गया तो ऐसे में अब जमीन भी पानी देने में पहले जैसा काम नहीं कर पाएगी।
नदी को बचाने और अवैध खनन को रोकने के लिए 11 मई को भी पत्र दिए गए थे। आयुक्त को दिए पत्र में यह भी कहा गया है कि शहर में धुलाई सेंटरों, शादी-विवाह केंद्रों, मिनरल वाटर केंद्रों में भी पानी की बर्बादी अत्यधिक की जाती है। ऐसे स्थानों पर पानी के रिचार्ज की व्यवस्था कराई जाए। ज्ञापन देते वक्त सुशील त्रिवेदी के अलावा अनिल कुमार पाठक, अभिषेक बाजपेयी, अभिषेक मिश्रा, अनिल कुमार तिवारी, लक्ष्मीकांत शुक्ला, राजेश द्विवेदी, रामआसरे श्रीवास, देवदत्त, दिनेश, रमेश सिंह, ब्रम्हानंद पांडेय, सत्येंद्र तिवारी गोपी एडवोकेट, सुनील शुक्ला एडवोकेट, नरेंद्र प्रताप सिंह, विद्याधर पटेल, धनराज सिंह, विपिन तिवारी, द्वारिकेश आदि शामिल थे।