भ्रूण हत्या

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

भ्रूण मतलब जब एक नन्ही सी जान इस दुनिया में आने के लिए एक नन्हे से बिंदु के रूप में मां के गर्भ से अपनी जीवन यात्रा को शुरू करता है। उसमें जान यानी प्राण का संचार होने लगता है। वह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह अपनी मां की गर्भ में बड़ा होने लगता है, अपने को हर प्रकार से सुरक्षित महसूस करता है ,और इसी क्रम में वह निरंतर नई ग्रोथ (विकास )को प्राप्त करते हुए मां के गर्भ में बड़ा होने लगता है । 

तभी अचानक भ्रूण को एक दिन काफी डर लगता है वह डरने लगता है उसे कोई डरावना औजार पकड़ने के लिए उस सुरक्षित गर्भ में आ जाता है और वह नन्हा सा भ्रूण जो अभी पूरी तरह से पनप ( विकसित) भी नहीं हो पाता वह अपनी रक्षा के लिए उस छोटे से गर्भ में इधर-उधर भागने लगता है ,अपना बचाव करने के लिए परंतु वह सफल नहीं हो पाता और वो अविकसित भ्रूण जो काफी लंबा जीवन जीने वाला था उसका जीवन गर्भ से बाहर आने से पहले ही समाप्त कर दिया गया और आज फिर एक नन्हा सा भ्रूण अपनी जंग हार गया। क्या उसे अपना जीवन जीने का हक नहीं था ? अपना पूर्ण शरीर पाने का हक नहीं था ?

अपने आप को पूर्ण शरीर के रूप में विकसित करने का हक नहीं था? क्या वह अपनी जिंदगी अपनी इच्छा से स्वतंत्रता से नहीं जी सकता ?माता-पिता की इच्छा या अनिच्छा से उस नन्हे भ्रूण को जीवन जीने की दौड़ से बाहर कर दिया जाता है क्या गलती थी उस नन्हे से भ्रूण की क्यों सजा दी गई उसे इस जीवन की दौड़ से निकालकर ?

 कभी-कभी तीन महीने से ऊपर के गर्म को नार्मल डिलीवरी की तरह से मां को दर्द का इंजेक्शन दे देकर जबरदस्ती कर उसे निकाला जाता है जिसमें काफी समय लग जाता है महिला को बहुत तड़पना और दर्द झेलना पड़ता है जो कि बहुत ही असहनीय पीड़ादायक है एक स्त्री उस समय मन से तो हताहत होती है और तन से भी क्या उसकी व्यथा कोई समझ सकता है ।

अविकसित गर्भ को जबरदस्ती से निकालना एक बहुत बड़ी पीड़ा है जो एक स्त्री स्वयं झेलती है उसके दर्द का एहसास किसी को नहीं हो पाता, अधिकांश ऐसी भ्रूण हत्यायें लिंग जांच का परिणाम होती हैं हम इस तरह की पीड़ा से महिलाओं को किस तरह बचाएं यह भी एक सोचनीय विषय है क्योंकि इसमें स्त्री को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की हानि होती है प्रत्येक वर्ग को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और यह तभी संभव है जब हम स्त्री को सम्मान देंगे उसकी भावनाओं को समझेंगे। 

तीन महीने के गर्भ के प्रत्येक अंग स्पष्ट नजर आने लगते हैं जिससे कि लोगों को लिंग जांच से पता चल जाता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की ,लड़की होने पर लोग उसे हटा देते हैं परंतु हम लड़की को जन्म क्यों नहीं देना चाहते लड़की को जन्म देने से क्या समस्याएं आती हैं जो लोगों को इतना बड़ा कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है कोई ना कोई समस्या तो होगी हमारे समाज में की बेटियों का होना हमें मंजूर नहीं।

       डॉक्टर पूजा रानी