मातृ दिवस हर कोई मनाये

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

ईश्वर नहीं आ सकता,

 हर किसी के पास यहाँ ।

वह स्वयं ही माँ बनकर,

आता है शिशु के पास।

यह चलता है सिलसिला,

 पर जो ईश्वर लिख देता।

वह उसे मिटा नहीं पाता,

छीन लेता पति व पिता ।

केवल एक व्यक्ति ही के,

चले जाने पर जमीन से ।

माता गम में डूब जाती है

बच्चों को पिता भी बन जाती है।

दोनों की निभाती है भूमिका,

भूल जाती अपना ख्याल रखना।

जवान होते हुए बूढ़ी हो जाती है,

क्यूंकि भूत भुला नहीं पाती है।

सचमुच माँ महान होती है,

वह एक मजबूत चट्टान होती है।

दिल में रोये बाहर हंसती है,

दुनिया की माँ बड़ी हस्ती है।

माँ की ताकत न छिने,

ईश्वर ऐसा कोई विधान लिखे।

मातृ दिवस हर कोई मनाये,

किसी की माँ को ईश्वर न बुलाये ।

पूनम पाठक "बदायूँ "

बदायूँ उत्तर प्रदेश