मेरी बड़ी माँ

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


इक छोटे शहर नवादा में मेरी बड़ी माँ रहती थीं,

मुख पर मृदु मुस्कान लिए हर काम में तत्पर रहती थीं।


रसोई, बगीचा हर जगह की देखभाल वो स्वयं करती थीं,

वह सुपर वुमन थीं,नित नए पकवान से स्वागत करती थीं।


बहुमुखी प्रतिभा की धनी सिलाई,बुनाई सब में अग्रणी,

हो शादी-ब्याह या शुभ-कार्य उनके बिना रहता अपूर्ण,

ढोल-थाप और उनकी मधुर गीतों से हो जाता था कार्य पूर्ण।

थीं वे साक्षात अन्नपूर्णा थीं स्वयं में सम्पूर्ण।


याद करती हूँ संग उनके बिताये पल खो जाती हूँ बचपन में,

उनके बनाये गये अचार पापड़ उस स्वादिष्ट दुनियां में।


यूँ तो गर्मी की छुट्टियां बच्चे बिताते हैं ननिहाल में,

पर मुझे तो छुट्टियां पसंद थीं उनकी स्नेहिल छाँव में।


अपने बच्चों के जैसा नेह वो हमपर रखती थीं,

असीमित प्यार लुटाती,विदाई में आँखें नम करती थीं।


नहीं हैं अब वो इस दुनियां में पर उनकी यादें सदा साथ है,

बालपन की मृदु स्मृतियों में उनकी जगह खास है।


                    रीमा सिन्हा

               लखनऊ-उत्तर प्रदेश