युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
कितना वैभव और कितनी करुणा
राजकुमार महलों का कितनी दया
पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के राजा
और माता थीं महारानी महामाया
लुंबिनी वन में जन्म हुआ था
सात दिवस में मां को खोया था
सिद्धार्थ शुद्धोधन की आंख का तारा
मौसी गौतमी का था वह अति प्यारा
सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र से पढ़े वेद
उपनिषद युद्ध विद्या और राजपाठ
दूसरा न कोई राज्य में ऐसा था
जो सिद्धार्थ की बराबरी करता
मानवता के लिए कितना प्रेम भरा
किसी प्राणी का दुख सहना मुश्किल था
हार जाता वह बाजी जो जीत चुका होता
देख दौड़ते घोड़े मुंह पर उसके झाग होता
सहसा मिला जंगल में हंस एक घायल
तीर निकाल गोद लिया दिया हंस को जल
आ गया देवदत्त तब दिखाने लगा अधिकार
हंस मेरा मुझको दो मैंने ही किया शिकार
बात न्याय की आ पड़ी राजा ने जो सुना
शिकार किया देवदत्त ने हंस उसका हुआ
करुणा हृदय में बह रही सिद्धार्थ कैसे माने
मारने वाले से बचाने वाला बड़ा पिता यह जानें
हक किसने दिया देवदत्त को बेकसूर को मारे
कुछ दया तो हो जीव पर अपना धर्म जाने
हंस प्रेम से किया न्याय हंस किस ओर जाए
बचाने वाला बड़ा हंस सिद्धार्थ की ओर जाए
तीन ऋतुओं को तीन अलग महल बने थे
सिद्धार्थ को सारे राज्य सुख भी मिले थे
शुद्धोधन ने धन व्यवस्था पर सब खर्च किया
उम्र सोलह सिद्धार्थ का यशोधरा से विवाह किया
यशोधरा से सिद्धार्थ को राहुल पुत्र मिला
कोई सांसारिकता सिद्धार्थ को बांधती क्या
सब कुछ सिद्धार्थ को विचलित करता
बीमारी बुढ़ापा मृत्यु यह संसार में क्या
द्रवित था ह्रदय मृत को दुल्हन सा सजा दिया
लगता था यह संसार उसे मोह और माया
संसार के दुखों से मुक्ति दिलाना कर्तव्य बनाया
दिव्य ज्ञान की खोज में जंगल को अपनाया
बोधि वृक्ष जो बिहार में बैठ गए वृक्ष के नीचे
वर्षों की तपस्या ज्ञान मिला बोधि वृक्ष के नीचे
सिद्धार्थ गौतम से महात्मा बुद्ध बन गए
उनके संबंध प्रत्यक्ष ईश्वर से अब बन गए
घृणा से घृणा खत्म नहीं प्रेम ही सब कर सके
सत्य को सर्वोपरि मानें राम के वह वंशज थे
सत्य पथ पर जो वह सिर्फ दो गलती करे
सत्य रास्ता पूरा न करें या शुरूआत न करें
कितनी शिक्षाएं और कितने उनके संदेश
यशोधरा और राहुल ने भी धरा भिक्षु वेश
उत्तर प्रदेश वाराणसी के निकट सारनाथ
जहां महात्मा बुद्ध ने उपदेश दिया प्रथम बार
उत्तर प्रदेश का जिला देवरिया जहां मोक्ष मिला
आठ में से एक स्तूप जिनमें अस्थियों को रखा
बुद्ध ने जग सिखलाया जग दुखों का पिटारा
सुख संपत्ति धन सब ईश्वर से मिलने में बाधा
प्रकाश खोजा अपने भीतर मिला तब ईश्वर
कष्टों से मुक्ति पाएं बना कर शुद्ध आचरण
बुद्ध की शिक्षाएं जो अपनाता है जीवन में
शांति वह पा जाता है अपने इस जीवन में
पूनम पाठक "बदायूँ"