कुंठित हो उठता है मन , देख कर
बिखरी हुई मानवता की मौत को
भय से कुचलते इस समाज में
किसके विचारों से जन्म लेता है ,
आखिरकार यहां पर आतंकवाद ।।
चारों ओर फैल जाता हाहाकार ,
जब बिना कारण करता है कोई
जन मानुष पर प्रहार ,तब – तब
बेकसूर लोगों का लहू बहाकर
फैलाया जाता है आतंकवाद।।
अपनी स्वार्थ सिद्धि हेतु जब
युवाओं को बरगलाया जाता है,
नन्हें-नन्हें मासूमों के बचपन को
गर्त में मिलाकर उनका भविष्य,
वर्तमान आतंकवाद की बलि चढ़ाया जाता है ।।
प्रतिभा दुबे
ग्वालियर महाराज बाड़ा
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