ये दवाइयां भी ना बढ़े नखरें दिखाती हैं।

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

इन दवाइयों के भी बड़े गजब नखरे होते हैं।

जितनी रंग बिरंगी होती हैं उतने ही ठाठ होते हैं।

खाली पेट चाहिए किसी को, किसी को भरा

किसी को चाहिए समय सुबह का, किसी को निशा।

कोई तो होती है बेचारी सीधी साधी,

पानी से भी खाई जा सकती हैं।

किसी के तो नखरें बढ़े, गिलास भर दूध से

राजी होती हैं।

कुछ तो होती है मेहनती 

 दिन में एक होकर भी काम कर जाती हैं।

कुछ होती हैं कामचोर सी,

दिन में चार खाने पर असर दिखाती हैं।

छोटी छोटी प्यारी गोलियां गले को

नही दुखाती हैं।

कुछ को देखकर तो बेचारे

गले को भी रुआँसी आ जाती हैं।

तला-भुना भी बंद करवाती कुछ तो

खिचड़ी पर अटका देती हैं।

इतने नखरों के बाद भी,

कुछ तो उल्टी प्रतिक्रिया(रेक्शन)कर जाती हैं।

फिर छोटी सी प्यारी गोली

मरीज को बचाती हैं।

ये दवाइयां भी ना बढ़े

नखरें दिखाती हैं।


गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता'

राजस्थान