तेरी याद आती है जब भी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

तेरी याद आती है जब भी

इक कशमकश सा उभरता है

खिंच जाती तब लकीर शर्म की

कह नहीं पाता बात अपनी

मेरा दिल तुझपे मरता है

कहने में कितना डरता है

चैन खो चुका हूं पहले ही

मर गया किश्तों में शुकून

तेरे प्यार की जद में 

छाया इस कदर जुनून

देखकर तेरी शोख अदाओं को

ख़ामोशी से आहें भरता है

कहने में कितना डरता है

बात कैसे कहें हम जनाब

ये इश्क है वाकई खराब

कब फिसला उस डगर पर

पता नहीं चला,रहा बेखबर

गंवा चुका होश,

लगा रहने मदहोश

दिल के कैनवास पर

जख्म ऐसा उभरता है

कह नहीं पाता बात अपनी

मेरा दिल तुझपे मरता है

कहने में कितना डरता है

तेरी याद आती है जब भी

इक कशमकश सा उभरता है

खिंच जाती लकीर शर्म की

कह नहीं पाता बात अपनी

मेरा दिल तुझपे मरता है

कहने में कितना डरता है

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राजेन्द्र कुमार सिंह

 ईमेल: rajendrakumarsingh4@gmail.com