रिश्ते

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   

खिलौना बना कर किसी

दिल को तोड़ते क्यों है

आओ चलो मिलकर

टूटे रिश्तों को जोड़ने

का हुनर सीखे।

रूठे हुए को मना लो तुम

वक़्त लौट कर न आयेगा

आओ चलो मिलकर हम

प्यार से रिश्तें सींचे।

बड़े मज़बूत धागे है

इन अनमोल रिश्तों के

सहज से संभाल ले इनको

न कभी क्रोध से खीचें।

पहल करने की हिम्मत रख

दर्द को दिल मे छुपा कर रख

प्यार दिल मे है गर तेरे,

पहल कर ले आँखे मींचे।

कुछ शिकवे भी हैं तेरे ,

कुछ गिले भी हैं तेरे,

भूल कर उन सब

बातों को, अधरों पर हँसी

रख कर रिश्तों की बेल सींचे।

सरिता प्रजापति,दिल्ली