खालीपन

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

बड़ी बरकत है

खालीपन में भी,

लाख कोशिशों से

नहीं भरता खुशनुमा

लम्हों की यादें.

झूठे, खोखले वादे

सुराख़ कर जाते हैं..

दिल की दीवारों में।

सुकून रिस जाता है,

जागती मायूस आँखों से।

मुस्कान बह जाती है,

उलझे से सवालों

के सैलाब में।

और भीतर रह जाता है

वही खालीपन।

इसे चैन की बूंदो से नहीं,

उम्मीद की रोशनी से भरते हैं।

चलो, एक खालीपन से ही,

खालीपन दूर करते हैं।

दीप्ति खुराना ,मुरादाबाद-उ0प्र0