आँसू

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

मोल नही है इनका कोई ,

होते है अनमोल ।

जज्बात पिघलता है

जब दिल का ,

आखों में सजते घोल।

खुशियों में भी छलक जातें है,

मन के सब भाव दिखाते हैं।

व्यथित हुआ जब भी मन मेरा,

हरदम साथ निभाते हैं।

पानी की बस बूंद नही ये ,

जब आंखो से गिरते हैं।

पढ़ लेना उस इन्सां को,

जिसकी आंखो से गिरते हैं।

ना होता इनमे कोई छल,

ये तो निश्छल होते है।

सारे दर्द सिमट जाते हैं ,

जब ये आंखो से गिरते हैं।

बिन बोले सब कह जातें है ,

मूक से ये बेज़ुबान आंसू।

कायनात भी शामिल हो जाती,

मिलते जब तेरे आंसू मेरे आंसू।

वन्दना श्रीवास्तव

जौनपुर-उत्तर प्रदेश

9161225525