संयम पथ पर चल कर बने वो मोक्ष गामी
जैन चौबीसवें तीर्थंकर थे महावीर स्वामी
धीर-गंभीर व्यक्तित्व के बने वो स्वामी
ज्ञान रुपी प्रकाश पुंज के हुए थे आगामी
“जियो और जीने दो” का भाव था जगाया
सत्य,अहिंसा को वैश्विक महत्व दिलाया
वर्तमान में हर तरफ मची है हाहाकार
मानवता का रुदन कर रहा है पुकार
स्वार्थ लोलुपता बनी शत्रु मनुष्यता की
रच रहा हर कोई षड्यंत्र नित नव अपार
युद्ध की विभीषिका से भयभीत है विश्व
बारूदों,धमाकों में दब रही मासूम चीत्कार
तृस्त हुई मानवता अब कर रही है पुकार
हे प्रभु महावीर ! फिर से लो आप अवतार
क्रोध, ईर्ष्या,वैमनस्य के भावों को मिटाकर
बंधुत्व, अहिंसा, प्रेम का सभी करें प्रचार
विजय प्राप्त हो लोभ की अवसरवादिता पर
महावीर सिद्धांत बने विश्व शांति का आधार
वंदना जैन
मुंबई