संयम जीवन की अनुमोदनार्थ वर्षीदान के वरगोड़े में उमड़े थार वासी

                                           
युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

- जीवन जीना और उसे समझना अलग बात होती है-गच्छाधिपति मणिप्रभसूरीश्वरजी

- विशाल व भव्य वरघोड़ा हुआ आयोजित, हजारों जैन धर्मावलम्बी हुए शामिल

- वीना बोथरा करेगी दीक्षा ग्रहण, बनेगी जैन साध्वी

- मोक्ष का सीधा रास्ता है संयम - आचार्य मनोज्ञसूरीश्वरजी

- दीक्षार्थी रवीना बोथरा का हुआ अंतिम वायणा व विदाई समारोह का कार्यक्रम

धोरीमना । धर्म नगरी धोरीमन्ना में परम पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. व वसी मालाणी रत्नशिरोमणि ब्रह्मसर तीर्थोद्वारक आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा, संयमप्रेरिका माताजी म.सा. रतनमाला श्रीजी म.सा. व बहन म.सा. डॉ. विधुतप्रभा श्रीजी म.सा., साध्वी अमितगुणाश्रीजी, साध्वी प्रियरंजना श्रीजी, आदि ठाणा साध्वी-साध्वीवृन्द के पावन सानिध्य में मेवाराम सुरेश कुमार बोथरा द्वारा व सकल जैन श्री संघ धोरीमन्ना व श्री बाड़मेर जिकुशलसूरी दादावाड़ी ट्रस्ट मण्डल धोरीमन्ना के तत्वाधान में धोरीमन्ना की मुमुक्षु रवीना बोथरा के त्रिदिवसीय दीक्षा महोत्सव के दूसरें दिन मंगलवार को मुमुक्षु रवीना बोथरा की दीक्षा का वर्षीदान का वरघोड़ा निकाला गया। इस वरघोड़े में देशभर के हजारो श्रद्धालु साक्षी बनेें। वरघोडे में मुमुक्षु रवीना बोथरा के साथ-साथ भगवानजी का भी रथ वर्षीदान कें वरघोडे में साथ रहा। दीक्षा महोत्सव समिति के लूणकरण बोथरा ने बताया कि मुमुक्षु रवीना बोथरा का पांच किलोमीटर लम्बा, विशाल एवं भव्य वरघोड़ा स्थानीय मुमुक्षु के निवास स्थान से प्रारम्भ हुआ। वरघोड़ा परम पूज्य खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवन्त श्री जिनमणिप्रभसूरिश्वरजी महाराजा व आचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीश्वरजी महाराजा की निश्रा एवं 20 से अधिक साधु-साध्वी मण्डल की पावन सानिध्य के साथ प्रारम्भ हुआ। जो नगर के मुख्य मार्गो से होता हुआ दीक्षा स्थल मणि प्रमोद वाटिका पहुंचा, जहा संगीत सम्राट नरेन्द्र भाई वाणीगोता द्वारा सुरमय गुरुवंदन और पूज्य खरतरगच्छाधिपति के मुखारविंद से मांगलिक के साथ कार्यक्रम शुरु हुआ। इसके बाद मे जिनवाणी का श्रवण करवाते हूए पूज्य खरतरगच्छाधिपति ने फरमाया कि जीवन जीना और उसे समझना अलग बात होती है। जीवन जीने वाला अष्टकर्मों का बंधन करता है और जीवन को समझकर अपने जीवन के मोक्ष मार्ग को समझने वाला भव्य जीव देव गुरु धर्म को समझता है और संयम पथ की ओर अग्रेसित होता है। धोरीमन्ना की धरती पर इतिहास मे पहली बार ऐसा स्वर्णिम सूर्याेदय हुआ है, जिसमे मुमुक्षु रत्ना रविना बोथरा संयम पर आगे बढकर संघ समाज परिवार की शान बनेगी।

ये रहे वरघोड़े के आर्कषण

वरघोड़े की अग्रणी पंक्ति में रंगोली, फूलों की तोप, जैन ध्वज वाले युवक, कच्छी घोड़ी नृत्य, घोड़े, ऊंट, हाथी, भोमा-भोमी, खनक वाड़ी ढ़ोल पार्टी, चार सज्जे-धजे रथ, गैर नृत्य, छतरी मण्डली नृत्य, वर्षीदान की जीपें, शहनाई, परमात्मा का रथ, बैण्ड पार्टी, साधु-साध्वी भगवन्त, ढ़ोल पार्टी, कलशधारी, दीक्षार्थी का रथ, सैंकड़ों महिलाएं, सहित हजारों कि हजारों की संख्या में जैन समुदाय के महिला-पुरूष उपस्थित रहे। वरघोड़े का जगह-जगह पर भव्य स्वागत पुष्प वर्षा के साथ हुआ। दीक्षार्थी के निवास स्थान से प्रारम्भ हुआ दीक्षार्थी बहन रवीना बोथरा का वरघोड़ा कस्बे के मुख्य मार्गो से होता हुआ दीक्षा मंडप मणि प्रमोद वाटिका पहुंचा। जहां प्रवेश द्वार पर भव्य वरघोड़े एवं अपार जनमैदिनी का मांगलिक रंगोली बनाकर स्वागत किया गया। वरगोड़े में दीक्षार्थी जगह जगह वर्षीदान में पुरे कस्बे में संसार को त्यागते हुए कई प्रकार की वस्तुएं लुटा रही थी, वही लोगो में लेने की होड़ मची हुई थी। वहीं वरघोड़े में शोभायात्रा को सकल जैन श्री संघ धोरीमना, श्री बाड़मेर जिनकुशलसूरी दादावाड़ी संस्थान, केयुप केन्द्रीय समिति, केयुप धोरीमना, बाड़मेर, केएमपी धोरीमना व बाड़मेर सहित कई कार्यकर्ताओं ने अपनी विशेष सेवाएं देते हुए वरघोड़े को ऐतिहासिक बनाया।

दीक्षा महोत्सव के दूसरे दिन ये हुए कार्यक्रम आयोजित

वर्षीदान के वरघोड़े के बाद दोपहर का स्वामीवात्सल्य का आयोजन जेठमल मेवाराम मूलचन्दोणी बोथरा परिवार अरणियाली वालों द्वारा किया गया। सकल संघ की महिलाओं द्वारा बड़ी सांझी, अंतिम वायणा व रात्रि में भव्य भक्ति संध्या एवं दीक्षार्थी बहन पूजा का विदाई कार्यक्रम का आयोजन हुआ। उन्होने बताया कि इसी कडी में विशेष स्वागत कक्ष में लाभार्थीयो का बहुमान किया गया। इसी कड़ी में अतिथियों सहित कई हस्तियों के पहुंचने पर दीक्षा महोत्सव समिति द्वारा अभिनन्दन किया गया । रात्रि में भक्ति संध्या के कार्यक्रम में संगीत सम्राट नरेन्द्र वाणीगोता द्वारा भक्ति की रमझट जमायी गई।

दीक्षा महोत्सव में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

महोत्सव के दूसरें दिन मंगलवार को वरघोड़े के बाद दोपहर में दीक्षा मंडप मणि प्रमोद वाटिका में स्टेज प्रोग्राम एवं विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें गुरूभक्तों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सभा में खरतरगच्छाचार्य श्री जिनमनोज्ञसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि जीवन में संयम से बढ़कर कुछ नही है। विरति धर्म की सब जगह जय-जयकार होती है। हम सब जीवों का कल्याण एवं उपकार करते हुए संयम जीवन की ओर बढ़े । दीक्षा महोत्सव समिति के सुरेश बोथरा ने बताया कि मंगलवार को दीक्षा मंडप मणि प्रमोद वाटिका में अंतिम वायणा, माता-पिता-बहन द्वारा विदाइ दी गई, रात्रि भक्ति भावना का आयोजन हुआ। साथ ही दोपहर में लाभार्थी परिवारों की ओर से नवकारसी का आयोजन हुआ। जिसमें देश भर से हजारों श्रद्धालुओं, गुरूभक्तों सहित कई संघो के पदाधिकारियों ने प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम ने भाग लिया ।

आज बुधवार को संयम जीवन अंगीकार करेंगी रवीना

जिनशासनरत्न नरेश एच लूणिया ने बताया कि दीक्षा महोत्सव के अन्तिम दिन बुधवार को जिस घड़ी जिस क्षण जिस ऐतिहासिक भव्य पल का इंतजार चतुर्विध संघ कर रहा है, वह योग विध्योत्सव् विरति व्रतोत्सव की शुभ मंगलमय घडी 27 अप्रेल को सुबह 5.42 बजे आ रही है, जिसमे वातावरण वैराग्यमय बनेगा। करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि और नंदीसूत्र वर्धमान विद्या मंत्रोच्चार से मुमुक्षु रवीना बोथरा की भागवती दीक्षा समारोह संपन्न होगा। इसी दिन पुरे भारत भर से पधारे मेहमानों व सकल जैन समाज धोरीमना का संघ स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया है।