नारी ही नारी पर भारी

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

नारी ही नारी पर भारी

कहा़ँ से हो सशक्तिकरण की तैयारी

सास बहू को सदा धमकाए

प्यार से कोई काम ना बनाएं।

संतान नहीं तो कहती बांझ

इससे बचकर रहना आज

शादी नहीं हुई तो बोले

कैसा भाग्य हरदम कोसे

मोटी है तो वह बोले

इतनी मोटी क्या कोई सोचे।

सोच सोच कर नाम धरे

ऐसे भला कोई काम चले

नारी को पहले बदलना होगा

नारी का सम्मान करना होगा।

ताना बोली वाली भाषा छोड़ो

तुम जरा पहले यह सोचो

हर कोई इंसान यहांँ

किसी के हाथ में सब कहांँ

नारी हो तुम तो ना बोलो

थोड़ा उसके भाव को समझो।

इसमें उसका क्या दोष

क्या तुम सर्वगुण संपन्न यहांँ

खोट निकालते दूसरों में सदा

नारी ही नारी की दुश्मन

तुम तो ऐसे शब्द ना बोलो।

किस क्षेत्र में पीछे नारी यहाँ

क्या कोई है क्षेत्र फिर तुम बोलो

उसको ना तुम कम यूं तोलो

सशक्तिकरण में साथ तुम दो।

समाज उन्नत बने सहयोग तुम दो

हाथ थाम लो किसी गिरते का

विरोध करो तुम मिलकर कुरीत का

फिर कोई कैसे टिक पाएगा

तभी सही सशक्तिकरण होगा।।

      रचनाकार ✍️

      मधु अरोरा