पांच राज्यों के चुनाव, तीसरी लहर और हम

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

निश्चित तौर पर देश के कई राज्यों में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है। दिल्ली और मुम्बई में कोरोना की रफ्तार तेज है। इस बीच निर्वाचन आयोग ने पॉच राज्यों के चुनाव की तिथियॉ घोषित कर दी है। पिछली बार भी कोरोना के पीक काल में कई राज्यों के चुनाव हुए, भारी भरकम रैलियॉ हुई भारी जन हानि के लिए एक लम्बा लॉकडाउन होने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। अरबों रूपये की आर्थिक हानि और करोड़ों लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर हम उसी दौर से गुजरने वाले है। निश्चित तौर से चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय से प्राप्त इन पॉच राज्यों के आंकड़ों के आधार पर चुनाव तिथियॉ घोषित की है लेकिन उसने शायद इस बॉत का ध्यान नही दिया कि जिन राज्यों में संक्रमण की रफ्तारी तेज है वहॉ से आने जाने वालों के संक्रमण का कहर उन राज्यों में भी हो सकता है जिन राज्यों में चुनाव हो रहा है। हालॉकि पिछली बार की तरह इस बार कोरोना उतना आक्रमक नही है जो पहले था इसके बावजूद हमें इस बॉत के लिए तैयार रहना है कि सरकारी व्यवस्था और सुविधाओं के साथ वैक्सिनेशन के बावजूद हम किस तरह से कोरोना से सुरक्षित रहे। भारत में कोरोना मामलों का दैनिक आंकड़ा एक लाख से ऊपर पहुंच जाना चिंता की बात है। भारत में पिछले दस दिन में कोरोना मामलों में दस गुना से ज्यादा वृद्धि हो चुकी है। 28 दिसंबर को संक्रमण के सिर्फ 9,155 मामले आए थे और 6 जनवरी को 1,17,000 मामले सामने आ गए थे। विशेषज्ञों ने बता दिया है कि देश में तीसरी लहर आ चुकी है। आगे क्या स्थिति होगी, इस पर अलग-अलग तरह की राय भी आने लगी है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर ज्यादा घातक नहीं होगी, तो कुछ विशेषज्ञ इसके ज्यादा खतरनाक होने की आशंका जता रहे हैं। हालांकि, इस बात पर सब सहमत हैं कि नए वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। यही कारण है कि दिल्ली ही नहीं, मुंबई में भी मामले मई अर्थात दूसरी लहर के स्तर पर पहुंच गए हैं। गुरुवार को महाराष्ट्र 36,365 नए मामलों के साथ देश में सबसे आगे रहा। अब ऐसे में 2021 के पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, पुडुचेरी चुनाव के बीच कोरोना का संक्रमण काल झेल चुकी देश की जनता के लिए तीसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश, पंजाब,उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव को गम्भीरता से  लेना होगा। सबके मन में यही सवाल है कि आखिर किसी सीमा तक जाएगी महामारी ? फिलहाल जो जानकारी विशेषज्ञ दे रहे है उसके मुताबिक जनवरी के अंत में कोरोना मामले चरम पर होंगे।संक्रमण के चरम दौर में देश में प्रतिदिन 4 से 8 लाख तक मामले मिल सकते हैं। कडेघ् प्रतिबंधों के चलते लहर कुछ देर से आएगी, पर यह ज्यादा समय तक ठहरेगी। कितने समय तक ठहरेगी, कोई वैज्ञानिक यह बताने की स्थिति में नहीं है।यह भी कहा जा रहा है कि लॉकडाउन बहुत कारगर नहीं होगा, शायद ऐसा अनुमान इसलिए है कि लॉकडाउन से दूसरी तरह की आर्थिक-सामाजिक-मानसिक समस्याएं बढ़ जाएंगी। तीसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर दूसरी लहर जैसा दबाव देखने को नहीं मिलेगा। अगर स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव नहीं पड़ता है, अभाव, कालाबाजारी का दौर नहीं लौटता है, तो भारतीय समाज आसानी से तीसरी लहर का मुकाबला कर लेगा। सुविधाओं की घोषणा भर से काम नहीं चलेगा, शासन-प्रशासन को आगे आकर लोहा लेना होगा। महामारी को खतरनाक होने से रोकना एक-एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। सबसे जरूरी है सावधान रहना और लक्षण की स्थिति में संक्रमण का वाहक बनने से बचना। याद रखना चाहिए, दूसरी लहर व्यवस्थागत कमियों ही नहीं, बल्कि लोगों की लापरवाही का भी नतीजा थी। तीसरी लहर के समय इन दोनों पहलुओं पर खास ध्यान देना होगा। अब ऐसे में जिन राज्यों में चुनाव की तिथियॉ घोषित हो गई है वहॉ की जनता को पिछले कोरोना काल में की तमाम गलतियों को ध्यान में रखते हुए चलना होगा। जगह-जगह लॉकडाउन की कमोबेश वापसी होने लगी है। संपूर्ण लॉकडाउन लगाने से ज्यादा जरूरी है कि पहली व दूसरी लहर से सबक लेकर स्वास्थ्य व बचाव योजनाओं का सही क्रियान्यन हो। इंतजाम केवल कागजी न रहें, बिस्तर, ऑक्सीजन व जरूरी दवाइयों का अभाव न हो। पिछली लहर के समय डॉक्टर व समाजसेवी तो जी-जान से लगे हुए थे, पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं व नेताओं को महामारी से जूझते कम देखा गया था। इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए। महामारी के समय किसी भी तरह की कमी या अपराध को रोकना जन-प्रतिनिधियों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कर्फ्यू की वापसी हो रही है, तो जरूरतमंदों को किसी अभाव से बचाना भी जरूरी है। आपदा में अवसर तलाशने वालों का नहीं, बल्कि इंसानों व इंसानियत की परीक्षा का समय आ गया है। फिलहाल जिन पॉच राज्यों में चुनाव घोषित हुए है वहॉ राहत की बॉत यह की चुनावी रैलिया स्थिगित हो गई है। कोरोना की तीसरी लहर के लगातार बढ़ते प्रभाव के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों, उनके नेताओं और उम्मीदवारों को प्रचार का तरीका बदलना होगा। भीड़ जुटाकर मतदाताओं के दरवाजे पर वोटों की दरकार लगाने का तौर तरीका अब नहीं चलेगा। आगामी चुनाव के लिए आयोग ने कोविड गाइडलाइंस की लक्ष्मण रेखाएं तय कर दी हैं, जिनका मतदाताओं को भी ख्याल रखना होगा। निश्चित तौर पर कोरोना की तीसरी लहर के बीच जिन राज्यों में चुनाव हो रहे है वहॉ मी जनता, राजनैतिक दलों और प्रशासन को बहुत ही सजग, सर्तक होकर इस महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। वैसे तो तीसरी लहर का कोरोना पूर्व की तरह हानिकारक नही दिख रहा लेकिन इसके बावजूद इसके संक्रमण को हल्के मेें नही लिया जाना चाहिए।