खुशियां महंगी नहीं होतीं
देखा है फूलों को
हवा में मुस्कुराते हुए
सांवरे बादलों में
चांद को मुस्कुराते हुए
महंगे खिलौने छोड़कर
मिट्टी के खिलौने से
बच्चों को खेलते हुए
देखा है बच्चों को मैंने
रेत पर महल बना ख़ुश होते हुए
कितने खुश हो जाते हैं
छोटी बातों में खुशियां पाते हैं
आपस में भले लड़ जाते हैं
फिर एक भी एक हो जाते हैं
जैसे माला में रंग बिरंगे फूल होते हैं
और मिलकर सब माला सजाते हैं
इसी तरह छोटी-छोटी बातें
हमें खुशियां दे देती हैं
खुशियां बिकती नहीं बाजार में
यह तो बसती हैं हृदय के द्वार पर
कोई खुश हो जाता है
माफी मांग लेने से और
कोई खुश हो जाता है
धन्यवाद दे देने से
झुकने से अगर किसी को
खुशी मिल जाती है
तो खुशियां कहां महंगी होती हैं
खुशियां तो सिर्फ खुशियां होती हैं
छोटी-छोटी बातों से ही
व्यक्ति बनता है
छोटी-छोटी बातों से ही
खुशियां मिलती हैँ
रितु शर्मा
दिल्ली