गौ सेवा के नाम पर सरकार कर रही रूपए खर्च लेकिन लापरवाही के कारण मृत पशुओं को नोच नोच खा रहे कुत्ते!

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मऊ जनपद के रतनपुरा में गौ रक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी योगी सरकार का रवैया किसी से छिपा नहीं है।गायों की रक्षा सुरक्षा के मामले में आज सरकार की संवेदनहीनता प्रदेश की सड़को पर स्पष्ट दिखाई पड रहा है।जनपद में भी आए दिन सैकड़ों गो वंश मुख्य सड़कों पर भूखे पेट टहलते हुए नजर आते हैं और रेल,बस,ट्रक आदि की चपेट में आकर अपनी जान भी गंवा बैठते है ।एक तरफ सरकार संवेदनहीनता की राह पर दिख रही हैं तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन भी खूब चैन की नीद सो रहा है।सरकार में बैठे गौ रक्षक सिर्फ बड़े-बड़े मंचों से ही गाय माता की तारीफ व सेवा करने का काम किया करते हैं लेकिन धरातल पर गौ वंश जीते जी नरकीय हालत में जीने को मजबूर तो है ही मरने के बाद भी कुत्तों का शिकार हों रहें हैं।

जनपद में कुल नौ ब्लॉक है जिसमे एक ब्लॉक रतनपुरा भी है ।कहने को तो यहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के दर्जनों सक्रिय नेता जीवित है लेकिन उनकी राजनीति मरी पड़ी है। मुख्य रूप से बात करते हैं सत्ता पक्ष में आसीन भाजपा नेताओं की जो अपने फेसबुक के माध्यम से हिंदुस्तान -पाकिस्तान, हिंदू - मुसलमान, मंदिर - मस्जिद ,जाति-पात जैसे तमाम गंभीर विषयों पर अपना विचार और सरकार का समर्थन करते नजर आते हैं लेकिन उनके आंगन में ही पल रही गंभीर बीमारी से उनका कोई वास्ता नहीं है। स्थानीय नेता जब फेसबुक पर देश विदेश के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते है तो उन्हें बिल्कुल शर्म नहीं आती लेकिन उनके अपने ब्लॉक स्तर पर फैली जटिल जन समस्याओं को फेसबुक पर लिखने में पढ़ने में उन्हें शर्म महसूस हुआ करती हैं तभी तो रतनपुरा पुलिस चौकी से करीब दो सौ मीटर दक्षिण की तरफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से पहले रतनपुरा ठैचा मार्ग के ठीक किनारे रिहायशी इलाके मे स्थित लावारिश पड़ा चमड़ा गोदाम की हालत नरकीय बनी हुई है। चमड़ा गोदाम की हालत यह है की यहां प्रायः क्षेत्र के तमाम गांवों से मृत पशुओं को लाकर खुले में फेक दिया जाता है।मृत पशुओं के सड़न से रतनपुरा का माहौल बदबूदार हो जाया करता है। लोग अपने ही घरों में अपने आप को सुरक्षित महसूस नही करते है।स्थानीय लोगो का खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना, आना, जाना सब मुश्किल सा हो गया है। सत्ता पक्ष के नेता भी इस समस्या से पीड़ित है लेकिन उनके मुंह से उफ तक नही निकलता है।क्योंकि उन्हें तो सिर्फ भारत पाकिस्तान, हिंदू मुसलमान, मंदिर मस्जिद और विरोधी पार्टियों को नीचा दिखाने में ही समय व्यतीत करना है।  

लावारिश चमड़ा गोदाम की वर्तमान हालत यह है की वहा पिछले दो दिनों से चमड़ा गोदाम के बाहर दो मृत पशुओं को खुले लावारिश छोड़ा गया है जिसमे से एक भैंस और दूसरी गाय है।अब आलम यह है कि मृत पशुओं के मांस को खाने के लिए दर्जनों कुत्ते लपटे हुए है और आपस में हुंकार भरते हुए नजर आ रहें है। अब आप समझ सकते हैं वहां का दृश्य कितना भयावह होगा। एक तो मृत पशुओं के भयंकर बदबू से आसपास के रहने वाले दर्जनों घरों के लोगो की हालत नरकीय तो है ही दूसरी तरफ मांस खाने के बाद मदमस्त कुत्ते रिहायशी इलाकों की तरफ अपना रुख करते हैं लोगों को काटकर उन्हें क्षति पहुंचाने के साथ साथ सड़क से गुजर रहे राहगीरों के वाहनों को दौड़ाकर उन्हें दुर्घटना के मुंह में धकेलने का काम भी करते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि चमड़ा गोदाम पर हो रही इस भारी अनियमितता का जिम्मेदार कौन है?जिला प्रशासन की निष्क्रियता के साथ साथ सतारूढ़ दल के नेताओं की नेतागिरी भी कमाल की  है या खुले शब्दों में यह कहे कि नेतागिरी मरी पड़ी है।

 चमड़ा गोदाम के बाहर खुले में फेंके गए मृत पशुओं की वजह से उत्पन्न समस्या पर  सामाजिक कार्यकर्ता निसार अहमद से जब प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने  बताया कि रतनपुरा का चमड़ा गोदाम खादी ग्रामोद्योग विभाग से रजिस्टर्ड है। इस गोदाम का मुख्य ध्येय  मृत पशुओं का मांस ,चर्बी,हड्डी ,आदि अपशिष्ट पदार्थों को  गलाकर उसका निर्यात करना था लेकिन यह प्रक्रिया अब बंद हो गयी जिससे कि खुले में पशुओं का शव कुत्ते आदि नोच नोच कर खा रहे हैं।निसार अहमद ने प्रशासन से यह मांग भी किया है की इस चमड़ा गोदाम को हटाकर किसी ऐसी सुरक्षित स्थान पर कर दिया जाना चाहिए कि मृत पशुओं का पूर्व की भांति अंतिम क्रिया हो सके साथ ही  लोगों को प्रदूषण युक्त वातावरण से मुक्ति मिल सके। बता दे की मृत पशुओं के शरीर से निकला दुर्गंध पर्यावरण को चुनौती भी दे रहा है जो कि हम सब के लिए हानिकारक है।