दिल के द्वार जरा खोलो तो
दिल से दिल की बात करेंगे
कुछ तुम अपनी बात कहो
कुछ हम अपनी बात कहेंगे!!
पाषाणों की टकराहट से
चिंगारी तो निकलेगी ही
शांति न निर्मित हो पाएगी
ऐसे ही हालात रहेंगे!
बारूदों की फसल सींच कर
प्रेम प्रसून न खिल पायेंगे
दोनों ही के आंगन में,
नफरत के झंझावात रहेंगे!!
तटबंधों की तोड़ दीवारें
मिल जानें दो तहजीबों को
टूटेंगीं जंजीरें ईर्ष्या की
दोनों के जज्बात मिलेंगे!!
तोपों और बंदूकों से तो
केवल युद्ध लड़ा जाता है
हथियारों की भाषा से तो
दोनों को आघात लगेंगे!!
रश्मि मिश्रा 'रश्मि'
भोपाल (मध्यप्रदेश )