चुनने लायक नहीं चुना तो,
चुनना मुश्किल कर देगा।
बदल कायदा हर पंक्षी का,
उड़ना मुश्किल कर देगा।
कहीं जात का कहीं धर्म का,
कहीं अर्थ का पाठ पढ़ा,
एक घाट पर सबको पानी,
पीना मुश्किल कर देगा।
पहली बार मिला अवसर तो,
केवल हंसना मुश्किल है,
किसी हाल में फिर लौटा तो,
रोना मुश्किल कर देगा।
जरा मुफ्त का दाना पाकर,
उसे पंख देने वालों,
पंख गया तो पिजड़े में भी,
जीना मुश्किल कर देगा।
रंगों को आधार बना फिर,
कांटों का आतंक दिखा,
आँगन में भी वह फूलों का,
खिलना मुश्किल कर देगा।
सिर्फ लाभ को मन्त्र बता वह, ममता वाले आँगन में,
दही दूध बूढ़ी दादी को,
मिलना मुश्किल कर देगा।
भेद बता गंगा - यमुना में,
ब्रह्मपुत्र को तेज बता,
वह नदियों को तटबंधों में,
बहना मुश्किल कर देगा।
जिसे इश्क का अल्लिफ बे भी,
नहीं पता गर वह आया,
इस धरती पर ताजमहल का,
रहना मुश्किल कर देगा।
रेजा रेजा माँ का दामन,
सी सकते हैं हम लेकिन,
उसके हाथ रही सूई तो,
सीना मुश्किल कर देगा।
- धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव