नदी एक कहानी

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

             कभी धरती की प्यास बुझाने का पानी है। कैसी

              नदी की जवानी है जिसमें समुद्र सी रवानी है।

             और गर कहीं ग़र ठहर गई तो एक कहानी है।                                  

             जो बीत गई वो बात गई । और जो बीत रही 

             वो बात कही यही तो जिंदगानी है। 

    और जो नहीं बीत रही, वो यादों की निशानी है। 

और बात बताना ग़र नही आ रहा तो बचकानी है। 

और ग़र लबों पर हंसी आ जाए तो नादानी है। 

वहीं ग़र आंखों में उतर आए तो छेड़खानी है।   

नदी तेरी मेरी एक कहानी है।

 पहाड़ों की ओट से पत्थरों की चोट से

घायल होकर भी कल-कल करती हुई

जीवन दायनी नदी प्यासों की प्यास 

बुझाती।समुद्र से मिल बस यही संदेश

दे जाती की जिंदगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है।

रमा निगम वरिष्ठ साहित्यकार

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