रात होगी जगमग ,होगी खुशियों की दिवाली,
जब दीन के घर आयेगी माँ लक्ष्मी की सवारी।
मुस्कायेगी ये धरा,आलोकित होगा आसमां,
नवीन दुकूल में जब सजेगी मुनिया प्यारी प्यारी।
धन कुबेर की वर्षा करता धनतेरस तब आयेगा,
जब कुचली जाये ना कलियां,स्त्रीत्व सम्मान पायेगा।
मोदक भोग से प्रसन्न गणपति होंगे तब,
जब ज्ञान की ज्योत से हर घर जगमगायेगा।
चाइनीज लाईट से घर रोशन कर खुश होगे तुम,
होंगी खुश लक्ष्मी,जब माटी के दीये जला कुम्हार को सुख दोगे तुम।
स्वार्थ सिद्धि से परे जब प्रकृति के रखवाले बन जाओगे,
उषा लायेगी नया सवेरा,हर रात दिवाली मनाओगे।
असत्य पर सत्य के विजय का ये त्योहार हम मनायें ऐसे,
आत्म निर्भरता को बढ़ा,सात्विकता से मुख दमके जैसे।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)