वो कहते हैं और कहते रहेंगे,
तुम सुनकर भी बस मुस्कुराते रहो,
गुण और दोष पर परखेंगे,
तुम अपना कर्म बस करते रहो l
खुशियों की सौगात नहीं,
ग़म उपहार में देते रहेंगे,
तुम बस सहर्ष स्वीकार करो,
हाँ, मुश्किल है इस राह पर चलना,
पर फिर भी निरंतर आगे बढ़ो l
निराशाओं से घिरे हो तुम,
आशा का दीप जलाते चलो,
न है कोई आसरा फिर भी,
सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपना कहो l
कुछ हंसेंगे तुम पर,
कुछ मुर्ख समझेंगे,
धीरज धर बस सुनते रहो,
रोकर व्यर्थ, न समय गंवाकर,
बस अपना कर्म करते रहो l
पथरीले राह भी सुमन से लगेंगे,
रख उम्मीद आगे बढ़ते रहो,
भीड़ में भी अपनी एक पहचान होगी,
अंधेरे से लड़कर उजाले की ओर बढ़ो l
डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर