हे !बापू तुमने

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


दोहे लिक्खूँ गाँधी तुझ पर,या रच दूँ मैं गीत।

गाँधी बाबा तुम सचमुच थे,जन्मों के मनमीत।।


बिलख रही जब भारत माता,

तुमने फर्ज़ निभाया।

मार फिरंगी को लाठी से,

तुमने दूर भगाया।।

तुम में देशभाव व्यापक था,निभा गए तुम प्रीत।

गाँधी बाबा तुम सचमुच थे,जन्मों के मनमीत।।


अत्याचारों की आँधी को,

तुमने बढ़कर रोका।

सत्य,अहिंसा के नारों से,

दुश्मन को था टोका।।

लिए भाव सेवा का मन में,बने त्याग की रीत।

गाँधी बाबा तुम सचमुच थे,जन्मों के मनमीत।।


सचमुच देवपुरुष तुम बापू,

गूँज रहा यशगान।

कर्म तुम्हारे हमने पाया,

यह जो नवल विहान।।

बने उष्णता तुम मौसम की,हरने को हर शीत।

गाँधी बाबा तुम सचमुच थे,जन्मों के मनमीत।।


                     -प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे