करवा चौथ की कुंडलिया

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

(1)

पावनता उर में लिए,करती नारी पर्व।

नारी के सद्भाव पर,करता हर इक गर्व।।

करता हर इक गर्व,नार तो प्रीति निभाती।

हो अखंड सौभाग्य,चौथ को देव मनाती।।

नारी गहती धर्म,इसी से है मानवता।

जब तक करवा चौथ,रहेगी नित पावनता।।

(2)

नारी करवा चौथ पर,नीर बिना उपवास।

नारी में तेजत्व है,हो जाता आभास।।

हो जाता आभास,अमर सिन्दूर बनाती।

माता करवा चौथ,हर्ष से हैं भर जाती।।

दाम्पत्य खुशहाल,सुवासित दुनिया सारी।

सावित्री-सा तेज,धारती हर इक नारी।।

(3)

नारी तो सम्पूर्ण है,रीति,नीति अरु धर्म।

नैतिकता की लाज है,है शुचिता का मर्म।।

दाम्पत्य को नेह से,देती सदा बुहार।

नारी ने फैला दिया,है सतीत्व-उजियार।।

है अंतर बलवान,कभी भी वह नहिं हारी।

सचमुच में बलवान,जगत में सबसे नारी।।


             -प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे