कोविद १९ का समाज पर असर

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  


पिछले दो सालों ने हम सभी की जिंदगियों पर बहुत असर की हैं,अच्छी भी और बुरी भी। बुरी असर में तो जिनको करोना हुआ था उनका स्वास्थ्य सभी प्रकार से खत्म सा हो गया हैं।किसी को हड्डियों के,किसी को स्नायुओं के,किसी को त्वचा के तो किसी को कमजोरी,तो किसी को बाल के जड़ने की तकलीफें हो गई हैं।लेकिन मानसिक असर तो बहुत ही गहरी हुई हैं,लोग डर से गए हैं कइयों की तो दैनिक चर्या ही बदल गई हैं।रोज ही हमारे और दूसरे देशों से आते करोना के व्याप के समाचार हमें भी मानसिक रूप से करोना मुक्त होने नहीं दे रहें हैं।ऐसे में सामाजिक संस्थानो द्वारा कई आयोजन हो रहें हैं  जिससे हम इन परिस्थितियों में करोना के साथ भी सामान्य तरीके से जिंदगी में आगे बढ़ सके।

इन में गृहियों का योगदान बहुत उदाहरण रूप हैं।करोना के अतिक्रमण के दौरान सब्जियों को पहले सोडा से ,फिर सादे पानी से धो कर ,पानी सुखा कर फिर फ्रीज में रखने जैसी लंबी प्रक्रिया भी खुशी खुशी कर रही थी।यूट्यूब से देख कर या अपनी मौलिक बानगियां बना बना कर अन्नपूर्णा बनी हुई थी वहीं गृहीणिया आज दिवाली के पवन पर्व में भी घर की ही मिठाइयां आदि बनाने की ठान चुकी हैं।क्योंकि अभी भी करोना गया नहीं हैं।१०० करोड़ के उपर का टीकाकरण होने के बावजूद काफी केसिज दिख रहे हैं।वैसे भी दुनियां के एक भी देश में कारोंना होना सभी देशों के लिए खतरा दर्शाता हैं,उसे ग्लोबलाइजेशन के फायदों का साइड इफेक्ट कह सकते हैं।

 अगर आज गृहिणियां घर की बनी स्वास्थ्यप्रद मिठाईयां से त्यौहार मनाती हैं वह बहुत ही गौरव पूर्ण कार्य होगा।ऐसे ही कट जायेगा ये करोना के केहर  का काल,बस सभी को करोना से मुक्त रहने के लिए उसी व्यवहार का पालन करना होगा, हाथों को बार बार धो कर या सेनेटाइज करके साफ रखना,मास्क पहनना और दो गज की दूरी रखना ,इसे ही जीवन मंत्र की तरह स्वीकार कर ले यह जरूरी हैं।


जयश्री बिरमि

अहमदाबाद