बेरहम कोरोना का वो कहर हम पर,,,,

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

बहुत हो चुका बे रहम  कोरोना

का कहर हम पर,,,,

ऐ मेरे यारब अब  रेहम व करम

की बारिश होना चाहिए,,,,,,,,

कैसे अटा पड़ा है माँ गंगा तेरा,

साहिल बेज़ानों से,,,,,,,

मेरी तो ये दुआ है कि अब ये,

सूरत बदलना चाहिए,,,,,,,,

हर गली हर शहर और गाँव में,

डरा हुआ है ,हर आदमी,,,,,,

काली सी रात में लिपटे हुये,

ये हालात बदलना चाहिए,,,,,,,,

हालातों का ये सफ़र छलनी न 

करदे आने वाली उम्रों को,,,,,,,,

आगे बढ़ो किनारों से चल कर

तूफानों से लड़ना चाहिए,,,,,,

सियासत है ये दरमियाँ दीवार

उठा के  ही छोड़ेगी,,,,,,,,

चालों से इनकी अब हमको भी

होशियार रहना चाहिए,,,,,,,

बहुत तकलीफ देती हैं  ये चादरें 

ग़म की हमें मुश्ताक़,,,,,,,,,

यारब इल्तेजा है ये मेरी अब तो

हवाएं खुशियों की बहना चाहिए,,,,,,,,,,,


डॉ . मुश्ताक़ अहमद शाह

" सहज़ "

हरदा मध्यप्रदेश,,,,,,,