मुख्यमंत्री से मिला कोआपरेटिव बैंक इंप्लाइज यूनियन का प्रतिनिधिमंडल 

लखनऊ । कोआपरेटिव बैंक इंप्लाइज यूनियन उप्र. का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को मुख्यमंत्री से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने उ.प्र. सहकारी बैंक लि. और 50 जिला सहकारी बैंकों के विलय में शिथिलता बरने का आरोप अधिकारियों पर लगाया। विलय के लिए बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी की संस्तुतियों के आधार पर विलय जल्द कराने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में राजेश्वर सिंह, महेश प्रताप सिंह, प्रवेश राठी और सुधीर सिंह शामिल थे। इनकी शिकायतों पर मुख्यमंत्री ने जांच कराने की बात कही। मुख्यमंत्री को दिए पत्रक में लिखा है कि जिला सहकारी बैंकों की 1335 शाखाओं के साथ ही उ.प्र. सहकारी बैंक लि. की 29 शाखाओं प्रदेश स्तर पर व्यापक आधार है। बैंक प्रदेश की 7439 पैक्स के माध्यम कृषि ऋण का वितरण कर रहे हैं। प्रदेश की 16 जिला सहकारी बैंकों को 1923.96 करोड़ की वित्तीय सहायता दिए जाने के बाद भी इन बैंकों का काम सामान्य नहीं हो पाया है। विलय होने की स्थिति में नये बैंक को सरकारी फंड भी मिलेगा और ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ेगा। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को बताया है कि 16 कमजोर बैंकों को आरबीआई से बैंकिंग लाइसेंस दिलाने तथा इन बैंकों को वित्तीय सहायता के लिए राज्य सरकार और नाबार्ड के बीच एमओयू किया गया था। एमओयू के कार्यान्वयन के लिए गठित राज्यस्तरीय क्रियान्वयन समिति (एसएलआईसी) के अव्यवहारिक और नानबैंकिंग निर्णयों के कारण भी बैंकों का काम सुचारू रूप में नहीं चल पा रहा है।
पत्रक में इस बात का जिक्र किया है कि जिला सहकारी बैंकों में उ.प्र. सहकारी बैंक लि. द्वारा भेजी गईं दरें अप्रत्याशित हैं। इसमें बड़े घोटाले की आशंका है। कनेक्टिविटी व वीडियो कांफ्रेंसिंग के कार्य सेवाओं की दरें बहुत अधिक हैं। इन दरों को देखने से लगता है कि बैंकों को ही समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। लाइसेंस फ्री इंस्टालेशन ट्रेनिंग की दरें भी अत्यधिक हैं।