युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सुनो दिकु...
प्रेम का इंतज़ार आज भी जारी है
हो सके तो लौट आना
हमारी अनचाही अचानक जुदाई के समय
ज़रूर किसी गहरी कश्मकश से
गुज़री होगी तुम
उस दरम्यान अमूल्य मोतियों सी
बिखरी होगी तुम
न जाने वोह लम्हें तुम ने कैसे बिताएँ होंगे
मैंने तो खुले मन से रो दिया सब के सामने
तुम ने अपने दर्द न जाने किसको बताएँ होंगे
ज़िंदगी में ना सही
तुम्हारे ख्यालों में तो आने का हक रखता हूँ
मेरा दिल जो तुम्हारे पास है
उसके किसी कोने में ही सही
आज भी उसमें मैं कहीं दिखता हूँ
ज़्यादा नहीं चाहता बस
अपनी पहली-सी हंसी को तुम्हारे चेहरे पर मोड़ लाना
प्रेम का इंतज़ार आज भी जारी है
हो सके तो लौट आना
प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए
प्रेम ठक्कर 'दिकुप्रेमी'
9023864367
सूरत, गुजरात