भय खा रहे हैं

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  


अपने भीतर की भीति से भय खा रहे हैं 

इस पर अहंकार का आडंबर जता रहे हैं 


खोखली बातें नकली मुस्कान चेहरों पर

जैसे कोई किरदार मंच पर निभा रहे हैं


मीठी मीठी बातों से शहद भी शर्मिंदा है

बरसों पुराने गीत नई धुन में सुना रहे हैं 


सदाबहार जुमले और बड़े झटके लटके

नया तुर्रा यह कि नया इतिहास रचा रहे हैं


झूठ को भी पानी पानी करे उनका सच

अब पुरानी लाशों पर नई कब्रें बना रहे हैं 


खामियों से भर गए हैं मुफलिसों के घर

लेकिन जहां में खुद को अव्वल बता रहे हैं


जिएं तो कैसे जब खर्चे आसमान छू रहे हैं

कमियां हंस हंसके अवाम को सता रहे हैं 


डॉ0 टी0 महादेव राव 

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204